परीक्षाएं आते ही विद्यार्थी मानसिक तनाव से भर जाते है। अध्ययन सामग्री का बढ़ता बोझ और अच्छे नंबर लाने का प्रेशर विद्यार्थियों पर हावी हो जाता है। माता-पिता को भी ये चिंता सताने लगती है कि उनका बच्चा अच्छे नंबर कैसे लाये बगैर किसी तनाव और दबाव के। वर्तमान परिदृश्य में प्रतियोगी भावना ने स्टूडेंट के साथ-साथ पैरेंट्स को भी तनाव में डाल दिया है।
इसी तनाव और उहापोह से मुक्ति के लिए हम यहाँ कुछ ख़ास टिप्स दे रहे है जिससे पैरेंट्स और विद्यार्थी दोनों ही एग्जाम फोबिया के दंश से बच सके।

- विद्यार्थियों के अध्ययन वाली जगह को खुशनुमा बनाने का प्रयास करे ,ताकि अध्ययन में किसी प्रकार का व्यवधान उत्पन्न ना हो , इसके लिए अध्ययन वाली जगह पर अच्छी महक वाली अगरबत्ती जलाये ताकि मन का केंद्र बिंदु पढ़ाई पर स्थापित हो सके।
- परीक्षा से पूर्व रटन्तु तोता न बने , बल्कि अपने अध्ययन सामग्री को पढ़ कर समझने का भरसक प्रयास करे।
- एग्जाम से कुछ सफ्ताह पूर्व ही अध्ययन सामग्री का रिवीजन प्रारम्भ कर दे आप ताकि परीक्षा के दौरान आप तनावमुक्त रह सके।
- पढाई से पूर्व शवासन मुद्रा को करने का प्रयास करे, जिससे मन प्रफुल्लित और तरोताज़ा रहेगा।
- पढ़ाई के दौरान किसी भी प्रकार के स्मोकिंग से बचे अन्यथा आप जो भी पढ़ेंगे उस पर ध्यान केंद्रित नहीं होगा।
- सबसे जरुरी बात ये कि आप अपना आत्म-विश्वास कम न होने दे, क्योकि जीवन में सफलता-असफलता तो लगा ही रहता है। आपका आत्म-विश्वास डगमगाना नहीं चाहिए।
- पढ़ते वक़्त खिड़की या दरवाज़े के पास बैठना अच्छा नहीं माना जाता है क्योकि बाहर से आती हवा या शोरगुल से ध्यान भटकने का चांस रहता है।
- विद्यार्थियों को अध्ययन करते समय दिशा का ख़ास ध्यान रखना चाहिए, क्योकि वास्तु के अनुसार पूर्व एवं उत्तर दिशा को सर्वोत्तम माना जाता है।
- वर्तमान में बहुत से बच्चे देर रात तक पढाई करते है जो कि उत्तम नहीं है, इसके बजाय कोशिश करे कि आप बर्ह्म मुहूर्त यानि कि बिलकुल सुबह-सुबह पढाई करने का प्रयत्न करे जिससे पढ़ा हुआ आसानी से याद रहता है, क्योकि सुबह के समय याददाश्त की क्षमता बढ़ी हुई होती है।
डिस्क्लेमर : यह लेख सामग्री आम धारणाओं और मान्यताओं पर आधारित है। जिसका ” हिंदी चाणक्य ” पुष्टि नहीं करता है।
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